एक खुशी का पल मिल जाए तो बात बने :)
ऐसा ही कुछ पिछले दिनों हुआ, जब सुबह फेसबूक लोग ऑन किया और एक मैसेज चमका, जो शिवम मिश्रा जी का था, सिर्फ उन्होने लिखा था – “हार्दिक बधाई स्वीकार करें”!! मैंने आश्चर्यचकित होकर पूछा – वजह?? उन्होने परिकल्पना का लिंक पोस्ट कर दिया। अब जैसे ही वहाँ पहुंचा तो एक बहुत बड़ी वजह मेरे इंतजार कर रही थी, जो मुझे अंदर से खुशी दे रही थी। परिकल्पना ब्लॉग जो हर वर्ष अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी ब्लॉगर सम्मेलन करवाती है ने युवा शिखर सम्मान (परिकल्पना ब्लॉग गौरव युवा सम्मान) के लिए संतोष त्रिवेदी (ब्लॉग – बेंसवारी) के साथ मुझे भी चुना । इस सम्मान के अंतर्गत 5100/- की धनराशि, स्मृति चिन्ह, सम्मान पत्र,श्री फल, पुस्तकें और अंगवस्त्र प्रदान किए जाएंगे। आगामी 13-14 सितंबर 2013 को काठमाण्डू में आयोजित "अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन" में ये सम्मान दिया जाएगा ।
सम्मान किस वजह से मिला, क्यों मिला, कैसे मिला ये आयोजक के सोच का विषय है। मैं इस पचरे से दूर रह कर ही खुश हूँ। मुझे खुश होने की आदत है, और बस... इस सम्मान के घोषणा के कारण मेरी खुशी वाजिब है।
पिछले दिनों मैंने खुद अपने फेसबूक प्रोफ़ाइल पर ये स्वीकार किया था, और ये मैं मानता भी हूँ
एक स्वीकारोक्ति :
# मेरे पास शब्दो की कमी होती है .
# मेरे पास अपने सोच को शब्द रूप देने की क्षमता कम है .
# मेरे पास हिन्दी व्याकरण/पद्य विद्या का तकनीकी ज्ञान नहीं है .
# मैं गणित/विज्ञान से जुड़ा एक साधारण सा छात्र रहा हूँ .
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पर हाँ, मेरे पास संवेदना है, एहसास है और इसी कारण मैं अपने सीमित शब्दो को जोड़कर “कविता जैसी कुछ” सृजित करता हूँ .......
अब पसंद/नापसंद आपके हाथों में ......... — feeling भईयाजी इस्माइल टाइप :)
अंत मे बस मैं इतना कहूँगा पांच साल पहले अपना ब्लॉग बनाया था, और तब से अपने संवेदनाओं /अहसासों के वजह से धीरे धीरे ही सही, आप सबके साथ आगे बढ़ रहा हूँ… और आगे भी लगातार ये यात्रा जारी रहे, ऐसी कोशिश रहेगी ...
रवीद्र प्रभात जी और परिकल्पना टीम का दिल से आभार प्रकट करता हूँ ... !!