जिंदगी की राहें

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Sunday, March 13, 2016

ईद मुबारक


सुनो
कल आँखे मिचमिचाते
भोर के किरणों से पहले
जैसे ही उठूं बिस्तर से
सामने हो जाना तुम !!
कल ईद है न
मेरी ईद, सूरज के किरणों सरीखी
तुमसे हो
बेशक सामने फहरा देना अपना आँचल या
लहरा देना जुल्फें
ताकि लगे दूज का चाँद या है सूरज !!
समझी न !!
जल्दी समझ जाती हो !!

ईद मुबारक !!

13 मार्च 2016 के लोकमत समाचार के सभी संस्करणों में मेरे "हमिंग बर्ड" की एक तथ्यपरक सुन्दर समीक्षा प्रकाशित हुई !